Guru Purnima 2024 : गुरु पूर्णिमा का पर्व भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह पर्व गुरु के प्रति आदर, श्रद्धा और कृतज्ञता प्रकट करने का एक विशेष अवसर है। गुरु का महत्व भारतीय धर्म, संस्कृति और साहित्य में अत्यंत ऊंचा माना गया है। गुरु को अज्ञान रूपी अंधकार से ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर ले जाने वाला मार्गदर्शक माना जाता है। ‘गुरु’ शब्द का तात्पर्य ‘गु’ अर्थात अंधकार और ‘रु’ अर्थात प्रकाश से है। अतः गुरु वह है जो अपने शिष्यों को अज्ञानता के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाता है।
Guru Purnima 2024 की तिथि और मुहूर्त
गुरु पूर्णिमा का पर्व आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। 2024 में यह पर्व 21 जुलाई को मनाया जाएगा। इस दिन को महर्षि वेदव्यास की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है, जिन्होंने वेदों का संकलन किया था और महाभारत जैसी महाकाव्य रचना की थी।
पूजा का शुभ मुहूर्त
गुरु पूर्णिमा के दिन पूजा और अनुष्ठान का विशेष महत्व होता है। 21 जुलाई 2024 को गुरु पूर्णिमा की पूजा का शुभ मुहूर्त निम्नलिखित है:
- पूजा का समय: सुबह 5:00 बजे से 8:00 बजे तक
- पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 20 जुलाई 2024 को रात 10:42 बजे
- पूर्णिमा तिथि समाप्त: 21 जुलाई 2024 को रात 08:47 बजे
यह भी पढे – जामुन की लकड़ी के फायदे जानकार हो जाओगे हैरान , जाने इस औषधि भरे पेड़ के बारे मे खास बात
गुरु पूर्णिमा का इतिहास और परंपरा
गुरु पूर्णिमा का पर्व प्राचीन काल से ही मनाया जा रहा है। इसे महर्षि वेदव्यास की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है, जिन्होंने वेदों का संकलन किया था और महाभारत जैसे महान ग्रंथ की रचना की थी। महर्षि वेदव्यास को आदिगुरु माना जाता है और उनकी शिक्षा व ज्ञान के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए यह पर्व मनाया जाता है।
गुरु पूर्णिमा की पौराणिक कथा
गुरु पूर्णिमा से जुड़ी एक पौराणिक कथा है जिसके अनुसार, भगवान विष्णु ने महर्षि वेदव्यास के रूप में अवतार लिया था। वेदव्यास जी ने चारों वेदों का संकलन किया और उन्हें चार भागों में विभाजित किया। उन्होंने महाभारत की रचना की, जिसमें भगवद गीता का उपदेश भी शामिल है। महर्षि वेदव्यास ने अपने ज्ञान और शिक्षा से संपूर्ण मानव जाति को लाभान्वित किया। इसलिए गुरु पूर्णिमा के दिन उनकी पूजा और स्मरण किया जाता है।
गुरु पूर्णिमा का महत्व और उसका प्रभाव
गुरु पूर्णिमा के दिन शिष्य अपने गुरु के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। यह दिन गुरु-शिष्य संबंध को और भी मजबूत बनाता है। गुरु की कृपा से शिष्य को ज्ञान, विवेक और सफलता प्राप्त होती है। गुरु की दी हुई शिक्षा और मार्गदर्शन से जीवन में आने वाली कठिनाइयों को आसानी से पार किया जा सकता है।
गुरु पूर्णिमा के दिन विशेष अनुष्ठान
गुरु पूर्णिमा के दिन शिष्य अपने गुरु की पूजा करते हैं और उन्हें विभिन्न प्रकार के उपहार और भेंट देते हैं। गुरु की पूजा में शिष्य उनके चरणों में पुष्प, वस्त्र, माला आदि अर्पित करते हैं। गुरु के आशीर्वाद से शिष्य को जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।
गुरु पूर्णिमा का संदेश
गुरु पूर्णिमा का पर्व हमें यह संदेश देता है कि गुरु के प्रति सच्ची श्रद्धा और सम्मान दिखाना चाहिए। गुरु की शिक्षाओं को अपने जीवन में अपनाना चाहिए और उनके मार्गदर्शन में आगे बढ़ना चाहिए। गुरु की कृपा से ही व्यक्ति अपने जीवन में सफल हो सकता है और सच्चे ज्ञान की प्राप्ति कर सकता है।
गुरु पूर्णिमा के दिन क्या करें
- गुरु की पूजा करें: इस दिन अपने गुरु की पूजा करें और उनके चरणों में पुष्प, फल, वस्त्र आदि अर्पित करें।
- गुरु के आशीर्वाद लें: गुरु से आशीर्वाद प्राप्त करें और उनके सान्निध्य में समय बिताएं।
- दान करें: इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान दें और उनकी सहायता करें।
- शास्त्रों का अध्ययन करें: इस दिन शास्त्रों का अध्ययन करें और गुरु की शिक्षाओं को अपने जीवन में अपनाएं।
गुरु पूर्णिमा का पर्व भारतीय संस्कृति में अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह पर्व गुरु के प्रति आदर, सम्मान और कृतज्ञता प्रकट करने का एक विशेष अवसर है। गुरु की कृपा से ही व्यक्ति अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सकता है और सच्चे ज्ञान की प्राप्ति कर सकता है। 2024 में गुरु पूर्णिमा का पर्व 21 जुलाई को मनाया जाएगा। इस दिन अपने गुरु की पूजा करें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को सफल और समृद्ध बनाएं।