Betul News बैतूल डिजिटल मीडिया ।बैतूल जिले की जनता को सरलता का फायद उठाकर कई चाहरी कंपनियों द्वारा अक्सर ही जिले में नियम कानून का उल्लंघन करते हुए कार्य किए जाते हैं। ऐसा ही एक मामला सगापुर तांक से सामने आया है। यहां मेषा इंजीनियरिंग लिमिटेड को मध्यप्रदेश पावर समिशन पैकेज 1 लिमिटेड द्वारा 220 केवी सतपुड़ा से इारसी लोलो समिशन लाइन का किाए गए सर्वे में ना तो प्रभाषित होने वाले किसानों को शामिल किया गया और ना ही अब तक प्रभावित किसानों को मुआवजा ही दिया गया है। बावजूद इसके मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन पैकज द्वारा किसानों के खेतों में भहल्ले से हाइटेंशन लाइन के है। फाउंडेशन खड़े कर दिए गए हैं। कुछ किसानों ने इस मामले में कानून सम्मत कार्य करने हेतु लिखित में आपत्ति व्यक्त घो तो ठेका कंपनी द्वरा ऐसे किसानों के विरुद्ध कार्य में बाधा डालने की छू
शिकायतें करते हुए उनी धमकाया जा रहा है। किसानों का कहना है कि कंपनी ने तो अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी को है और न ही किसी तरह का गुआवजा निर्धारित किया गया है। इसके बावजूद का कंपनी या इंजीनियरिंग लिमिटेड द्वारा खेत में पोल के फाउंडेशन और तार डालने का कार्य प्रारंभकर दिया गया है।
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बताया जाता है कि कंपनी किसानों पर भारतीय टेलीग्राफ धनि की धारा 10 व 16 (1) का माला देते हुए पार-बार प्रशासन के माध्यम से दवा बना रागही है जबकि जानकारी का कहना है कि ठेका कंपनी स्वयं ही भारतीय टेलीग्राफ एक्ट कि उक्त धारा का उल्लंघन कर रही
क्या कहता है कानून भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 को भाग 10 और 16 के अनुरा बिजली कंपनियां लाइन बिहा सकती है परंतु इसके लिए पहले भूमि स्वामी को सूचना देना,
आपण लेने का अवसर देना और नुकसान के बदले मुजावता देना अनिवार्य है। इनमें में कोई भी प्रक्रिया कम्पनी ने निधर्धारित गय पर नहीं की। अपितु जब किसानों ने आपत्ति लेना शुरू किया उसके चाद औपचारिकता के लिए उन्हें सूचना पत्र लिए गए। लेकिन इसके पहले ही गट सर्वे फाइनल हो चुका था और किसानों के लिए कोई विकल्प नहीं बचा था। पावर ग्रिड ऑफ के नोति भारत सरकार (2016) के अनुसार सर्वे की प्रक्रिया पारदर्शी और हिंड होनी चाहिए। लेकिन यहां ऐसा भी नहीं हुआ है और जिन किसानों के खेत से लाइन निकालनी है उन्हें ही सर्वे के बारे में समय पर पात्र ही नहीं चाता। फात स्वरुप आज किसानों की उपजाऊ भूमि दांव पर लगी हुई है।
किसानों का कहना मुझे सर्वे के पूर्व नोटिस नहीं मिला था। जब कोपनी के कर्मचारी मेरे खेत पर आए तो मैने
30 जून 2024 को कलेक्टर और एमपीपीटीसीएत को शिकायत की। इसके बाद 30 जुलाई को कंपनी ने पाली कर लिखित में दी जिसमे भी कई जूठ लिखे गए। लेकिन जब सट पहले ही परत हो चुका हो तो यह सूचक औपचारिकता मात्र ही है।
विशाल बत्रा, कृक्षक, सिलपटी कोपनी ने 2023 में चतपुर रेलवे स्टेशन यरीदी। इसके आधार पर ही लीलो लाइन का चुपचाप सर्व कर लिया। जबकि होना यह चाहिए था कि लाइन का सर्वे पहले होता और सब स्टेशन उस सर्वे के हिसाव से बनता। लेकिन कंपनी ने खरीदी हुई जमीन का उपयोग करने के लिए अपनी सुविधा अनुसार काम किया है और किसानो को उपजाऊ जमीन को खराब करने का काम कर पो है, जिसका मुआवजा भी नहीं दिया गया है।