sawan somvar vrat katha : ऐसे करे सावन सोमवार का व्रत , जीवन मे आएगी अपार खुशिया , पढे व्रत कथा

sawan somvar vrat katha : सावन सोमवार व्रत हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो भगवान शिव की उपासना के लिए रखा जाता है। इस व्रत को सावन महीने के हर सोमवार को किया जाता है और इसे भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम माना जाता है। इस लेख में हम सावन सोमवार व्रत की उत्पत्ति, कथा, व्रत करने के नियम, सावधानियां और शुभ मुहूर्त के बारे में विस्तार से जानेंगे।

सावन सोमवार व्रत की उत्पत्ति

सावन सोमवार व्रत की उत्पत्ति और इसके धार्मिक महत्व के संदर्भ में कई पौराणिक कथाएं और मान्यताएं प्रचलित हैं। इनमें से कुछ प्रमुख कथाएं इस प्रकार हैं:

पार्वती और शिव की कथा ( sawan somvar vrat katha )

देवी पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठिन तपस्या की थी। उनकी इस तपस्या के दौरान उन्होंने सावन के महीने में हर सोमवार को व्रत रखा और भगवान शिव की आराधना की। उनकी भक्ति और तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपने अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया। इस कथा के आधार पर माना जाता है कि जो भी स्त्री या पुरुष सावन के महीने में सोमवार व्रत रखता है, उसे भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

समुद्र मंथन की कथा

एक अन्य कथा के अनुसार, जब देवताओं और असुरों ने समुद्र मंथन किया, तब भगवान शिव ने समुद्र से निकले विष को अपने कंठ में धारण कर लिया था। इस विष से भगवान शिव का कंठ नीला हो गया और वे नीलकंठ कहलाए। इस विष के प्रभाव को शांत करने के लिए देवी पार्वती ने सावन के महीने में हर सोमवार को व्रत रखा और भगवान शिव की आराधना की। इस व्रत के प्रभाव से भगवान शिव के कंठ का विष निष्क्रिय हो गया। इस घटना के उपलक्ष्य में सावन सोमवार व्रत का प्रचलन हुआ।

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सावन सोमवार व्रत की कथा

सावन सोमवार व्रत की एक प्रमुख कथा है जो इस प्रकार है:

सत्यवान और सावित्री की कथा ( sawan somvar vrat katha )

प्राचीन समय में एक राजा था जिसका नाम अश्वपति था। उनकी कोई संतान नहीं थी। राजा अश्वपति ने पुत्र प्राप्ति के लिए भगवान सूर्य की आराधना की और उनकी कृपा से उन्हें एक पुत्री की प्राप्ति हुई, जिसका नाम सावित्री रखा गया। जब सावित्री विवाह योग्य हुई, तब उसने सत्यवान नामक युवक से विवाह किया। विवाह के कुछ समय बाद सावित्री को ज्ञात हुआ कि सत्यवान का जीवन अल्पकालिक है और वह एक वर्ष के भीतर मृत्यु को प्राप्त होगा।

सावित्री ने अपने पति सत्यवान की लंबी आयु के लिए सावन सोमवार का व्रत रखा और भगवान शिव की आराधना की। सावन के महीने में हर सोमवार को सावित्री ने निर्जला व्रत किया और भगवान शिव से अपने पति की आयु बढ़ाने की प्रार्थना की। उसकी भक्ति और तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे वरदान दिया और सत्यवान को दीर्घायु होने का आशीर्वाद दिया। इस कथा के अनुसार, सावन सोमवार व्रत रखने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और सभी प्रकार की समस्याओं से मुक्ति दिलाते हैं।

सावन सोमवार व्रत करने के नियम ( sawan somvar vrat katha )

सावन सोमवार व्रत करने के कुछ विशेष नियम और विधियाँ होती हैं जिनका पालन करने से व्रत का पूरा फल प्राप्त होता है। ये नियम इस प्रकार हैं:

  1. व्रत का संकल्प: व्रत रखने वाले व्यक्ति को सुबह स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए और भगवान शिव की प्रतिमा या चित्र के सामने व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
  2. भगवान शिव की पूजा: व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा विधिपूर्वक करनी चाहिए। इसके लिए पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल) से भगवान शिव का अभिषेक करें और बेलपत्र, धतूरा, आक, भांग आदि अर्पित करें। भगवान शिव को धूप, दीप, नैवेद्य, फल, फूल आदि चढ़ाएं।
  3. रुद्राभिषेक: यदि संभव हो तो व्रत के दिन रुद्राभिषेक करें। रुद्राभिषेक में भगवान शिव का अभिषेक रुद्र मंत्रों के साथ किया जाता है, जो अत्यंत फलदायक माना जाता है।
  4. व्रत का पालन: व्रत रखने वाले व्यक्ति को पूरे दिन निराहार रहना चाहिए। यदि निराहार व्रत संभव न हो तो केवल फलाहार या दूध का सेवन कर सकते हैं।
  5. शिव चालीसा और शिव स्तोत्र का पाठ: व्रत के दिन भगवान शिव की आराधना के साथ शिव चालीसा, शिव स्तोत्र और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए।
  6. सांध्य आरती: शाम को पुनः भगवान शिव की पूजा करें और आरती करें। इस समय भी भगवान शिव को फल, फूल, नैवेद्य आदि अर्पित करें।
  7. भोजन: व्रत का पारण अगले दिन सुबह सूर्योदय के बाद ही करें। पारण के समय सबसे पहले भगवान शिव को भोग अर्पित करें और फिर प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें।

सावन सोमवार व्रत की सावधानियां ( sawan somvar vrat katha )

सावन सोमवार व्रत के दौरान कुछ सावधानियों का पालन करना अत्यंत आवश्यक है, जिससे व्रत का पूर्ण फल प्राप्त हो सके। ये सावधानियां इस प्रकार हैं:

  1. शुद्धता का ध्यान: व्रत के दिन शुद्धता का विशेष ध्यान रखें। स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल को भी स्वच्छ रखें।
  2. सात्विक आहार: व्रत के दिन सात्विक आहार का ही सेवन करें। तामसिक और मांसाहारी भोजन से परहेज करें।
  3. विचारों की शुद्धता: व्रत के दिन अपने विचारों को शुद्ध रखें। क्रोध, ईर्ष्या, द्वेष, और झूठ से दूर रहें।
  4. शराब और धूम्रपान से परहेज: व्रत के दौरान शराब और धूम्रपान का सेवन न करें।
  5. दान-पुण्य: व्रत के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है। अपनी सामर्थ्य अनुसार गरीबों और जरूरतमंदों को दान दें।
  6. मनोरंजन से दूर रहें: व्रत के दिन मनोरंजन के साधनों से दूर रहें और अधिक से अधिक समय भगवान शिव की आराधना में लगाएं।
  7. स्वास्थ्य का ध्यान: यदि किसी कारणवश स्वास्थ्य ठीक न हो तो निराहार व्रत न रखें। फलाहार या दूध का सेवन कर सकते हैं।

सावन सोमवार व्रत के शुभ मुहूर्त ( sawan somvar vrat katha )

सावन सोमवार व्रत के शुभ मुहूर्त का विशेष ध्यान रखना चाहिए। व्रत का आरंभ और समाप्ति शुभ मुहूर्त में ही करें, जिससे व्रत का पूर्ण फल प्राप्त हो सके।

  1. स्नान और संकल्प का समय: सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और सूर्योदय के बाद भगवान शिव के समक्ष व्रत का संकल्प लें।
  2. पूजा का समय: सुबह और शाम के समय भगवान शिव की पूजा करें। प्रातःकालीन पूजा सूर्योदय के समय और सांध्यकालीन पूजा सूर्यास्त के समय करें।
  3. अभिषेक का समय: भगवान शिव का अभिषेक शुभ मुहूर्त में ही करें। अभिषेक का सबसे उत्तम समय प्रदोष काल (शाम के समय) होता है।
  4. आरती का समय: भगवान शिव की आरती सुबह और शाम को करें। आरती के बाद भोग लगाकर प्रसाद वितरण करें।
  5. व्रत का पारण: व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद करें। पारण के समय सबसे पहले भगवान शिव को भोग अर्पित करें और फिर स्वयं ग्रहण करें।

सावन सोमवार व्रत के लाभ ( sawan somvar vrat katha )

सावन सोमवार व्रत के अनेक लाभ होते हैं। इस व्रत को रखने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसके अलावा, इस व्रत के कुछ अन्य लाभ भी हैं:

  1. धार्मिक लाभ: सावन सोमवार व्रत से भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में धर्म और आस्था का विकास होता है।
  2. आध्यात्मिक लाभ: इस व्रत के माध्यम से आत्मा की शुद्धि होती है और आत्मिक शांति प्राप्त होती है।
  3. सामाजिक लाभ: व्रत के दिन दान-पुण्य करने से समाज में सद्भावना और सहानुभूति का विकास होता है।
  4. स्वास्थ्य लाभ: व्रत के दौरान सात्विक आहार और शुद्ध विचारों का पालन करने से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार

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