दिल्ली की लाइब्रेरी मे 3 छात्रों की मौत : जाने कितनी बड़ी देश मे त्राशदी

इस देश में ‘लाइब्रेरी’ का मतलब केवल ‘पढ़ने की जगह’ से कहीं अधिक है। यह ग़रीबी रेखा के नीचे रहने वाले सैकड़ों भारतीय छात्रों के लिए उनके कठिन जीवन में एक आशा की किरण है।

इसीलिए दिल्ली के एक कोचिंग संस्थान की लाइब्रेरी में पढ़ते हुए तीन छात्रों का डूब कर मरना केवल एक हादसा नहीं है। यह उस ग़रीब और निम्न मध्यवर्गीय भारत के युवा सपनों का डूबना भी है, जो अपनी छोटी जगहों से निकलकर लाइब्रेरी को आखिरी आश्रय स्थल मानते हैं। हाल ही में लाइब्रेरी में डूबकर मरने वाले तीन छात्रों – उत्तर प्रदेश की श्रेया यादव, तेलंगाना की तान्या सोनी और केरल के नवीन दलविन – की खबर ने मीडिया का ध्यान उनकी त्रासदीपूर्ण पारिवारिक स्थितियों की ओर खींचा, जहां उनके परिवार अपने बच्चों को अफसर बनाने का सपना देख रहे थे।

भारत में लाइब्रेरी का महत्व

लाइब्रेरी में पढ़ने वाले छात्रों की यह अकाल मृत्यु जितनी त्रासदीपूर्ण है, उतनी ही अविश्वसनीय भी। भारतीय छात्रों के जीवन में ‘लाइब्रेरी’ का महत्व वही समझ सकते हैं जिन्होंने खुद इस कठिन रास्ते को पार किया है। चाहे वह गाँव में छोटी सी वाचनालय हो या महानगरों में बड़ी लाइब्रेरी, ये पुस्तकालय गरीब और निम्न मध्यमवर्गीय परिवारों के बच्चों के लिए प्रगति का एकमात्र रास्ता होते हैं।

मेरे लिए पुस्तकालयों ने आर्थिक और सामाजिक परिस्थिति को सुधारने का एक रास्ता प्रदान किया। भोपाल का स्वामी विवेकानंद पुस्तकालय मेरे लिए ऐसी ही एक जगह थी, जहाँ मैं घर की उलझनों से दूर शांति से पढ़ सकती थी।

2011 में, इस लाइब्रेरी की सदस्यता लेने के लिए मामूली वार्षिक शुल्क देना पड़ता था, जिसके बदले में मुझे विभिन्न प्रकार की किताबें और अखबार पढ़ने को मिलते थे। यह भोपाल की एकमात्र लाइब्रेरी थी जहाँ इंटरनेट स्टेशन भी था, जो मेरे जैसे छात्रों के लिए वरदान था। इस लाइब्रेरी ने मुझे सीखने का माहौल दिया, जिससे मैं अपनी आर्थिक और सामाजिक स्थिति सुधार सकी।\

इस संदर्भ में, लाइब्रेरी का भारतीय छात्रों के जीवन में गहरा दार्शनिक और मार्मिक महत्व है। इसलिए, लाइब्रेरी में डूबकर तीन छात्रों की मौत बहुत ही कष्टदायक और दिल तोड़ने वाली है।

मृत्यु हमेशा दुखद होती है, खासकर जब वह किसी निर्दोष युवा की हो। और ये तीनों छात्र तो बेहद युवा थे। इस तरह की असमय मौत, और वह भी लाइब्रेरी में, हमारी शैक्षणिक व्यवस्थाओं की कमजोरी को उजागर करती है।

यदि सोचें तो कौन मानेगा कि हमारे देश में, जहाँ लाइब्रेरी मेहनतकश युवाओं के लिए उम्मीद का प्रतीक है, वहाँ पढ़ते हुए छात्रों के ऊपर अचानक पानी भर गया? यह घटना हरिशंकर परसाई के व्यंग्य का हिस्सा लगती है या किसी साइंस फिक्शन फिल्म का दृश्य। लेकिन यह सच्चाई है।

छात्र पढ़ने के लिए लाइब्रेरी जाते हैं, जो उनकी अंतिम उम्मीद होती है। किसी भी छात्र का इस तरह मरना अत्यंत दुखद और अन्यायपूर्ण है। लाइब्रेरी को अवैध रूप से चलाना सबसे बड़ा अपराध है, क्योंकि यह उन बच्चों की शरणस्थली है जिनके पास घर में पढ़ने की जगह नहीं होती और जेब में किताबों के पैसे नहीं।

लाइब्रेरी एक समतामूलक समाज की स्थापना की नींव है, जो सभी सामाजिक विषमताओं से परे जाकर युवाओं को पढ़ने और अपनी पहचान बनाने का मौका देती है। इन पुस्तकालयों को अवैध और असुरक्षित तरीके से चलाना और तीन युवाओं को मौत के मुंह में धकेलना एक जघन्य अपराध है।

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