Hathras Stampede Update : उत्तर प्रदेश के हाथरस में जो दर्दनाक हादसा हुआ उसने कुछ ऐसे सवाल खड़े कर दिए है जिनका उत्तर हर काई जानना चाहता है। सत्संग में मची भगदड़ में 121 लोगों की मौत हो गई, जबकि सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। सत्संग का आयोजन ‘भोले बाबा’ उर्फ बाबा नारायण हरि के संगठन ने किया था। मरने वालों में सात बच्चे और 100 से ज्यादा महिलाएं शामिल हैं। दर्दनाक हादसे के बाद सत्संग स्थल श्मशान घाट में बदल दिया।
सत्संग स्थल पर जिस समय भगदड़ मची उस समय का साफ विडिओ क्यों नकही
आज के दौर में जब हर व्यक्ति मोबाइल का उपयोग कर रहा है और हर छोटी और बड़ी घटना और अपने जीवन से जुड़े हर पल का वीडियो सोशल मीडिया पर साझा करता है। ऐसे स्थिति में लाखों लोगों वहां उपस्थित थे और बाबा के प्रवचन और जिस समय यह घटना घटी उस समय का एक भी साफ वीडियो उपलब्ध नहीं हैं। ऐसा कैसे हो सकता है, इससे सवाल खड़ा होता है कि क्या इन वीडियो को जानबूझकर रोका गया?
2- एफआईआर में ‘भोले बाबा’ उर्फ बाबा नारायण हरि का नाम क्यों नहीं?
जिस बाबा के कहने पर उसके चरणों की धूल लेने के लिए भक्त दौड़े और इस हादसे का शिकार हुए, उसका नाम आखिर एफआईआर में क्यों नहीं है। पुलिस ने अभी तक बाबा से इस घटना के बारे में कोई जानकारी क्यों नहीं ली। उनके इस दावे की पड़ताल भी होनी चाहिए कि आखिर उनके चरणों की धूल से कोई बीमार व्यक्ति ठीक कैसे हो जाता है या उसका जीवन में बदलाव कैसे आ जाता है।
जिस समय सत्संग की अनुमति मैजाइ गई उस समय वास्तविक संख्या झूपाई गई
एफआईआर में आरोप लगाया गया कि आयोजकों ने अनुमति मांगते समय सत्संग में आने वाले भक्तों की वास्तविक संख्या छिपाई। एफआईआर के मुताबिक आयोजन में ढाई लाख लोग आए थे जबकि आयोजकों ने 80 हजार लोगों के कार्यक्रम की अनुमति ली थी। इसके साथ ही आयोजकों की ओर से ट्रैफिक मैनेजमेंट का कोई इंतजाम नहीं था। इस कार्यक्रम को ऐसे सभा स्थल पर जहां सही से लोग बैठने की भी व्यवस्था नहीं थी।
जब लोग इतनी भारी संख्या मे जमा हुए तो क्या इसकी जानकारी शासन को नहीं ?
एफआईआर में कहा गया है कि भीड़ के दबाव के बावजूद पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने हर संभव प्रयास किया और उपलब्ध संसाधनों से घायलों को अस्पतालों में भेजा और कहा कि आयोजकों और सेवादारों ने सहयोग नहीं किया। लेकिन ऐसे में सवाल उठता है कि प्रशासन को इसका कोई भी इनपुट नहीं मिला कि इतनी मात्रा में लोग आ रहे हैं। अगर ऐसा था तो क्या आयोजन को स्थगित नहीं किया जा सकता था।
5- आयोजकों ने सबूत छिपाकर श्रद्धालुओं की संख्या को कम दर्शाने का प्रयास किया?
वीडियो का उपलब्ध न होना, सबूत छिपाकर और श्रद्धालुओं की चप्पलें और अन्य सामान पास के खेतों में फसलों में फेंककर कार्यक्रम में आने वाले लोगों की वास्तविक संख्या को छिपाने की कोशिश गई। अगर ऐसा किया गया तो फिर इसकी जांच हो कि आखिर ऐसा किसके कहने पर किया गया और ऐसे में बाबा की भूमिका संदिग्ध हो जाती है।