income tax return : आयकर अधिनियम, 1961 के तहत, टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स (TDS) एक ऐसा प्रणाली है जिसमें निर्दिष्ट प्रकार की आय के लिए कर पहले ही काट लिया जाता है और फिर सरकार को जमा किया जाता है। TDS मुख्यतः वेतन, ब्याज, कमीशन, किराया, प्रोफेशनल फीस, आदि पर लागू होता है।
TDS क्या है?
TDS का पूरा नाम है “Tax Deducted at Source”। इसका मुख्य उद्देश्य टैक्स संग्रह प्रक्रिया को सरल और सुविधाजनक बनाना है। इसके तहत, टैक्स काटने वाला व्यक्ति (जैसे नियोक्ता) सीधे टैक्स विभाग को टैक्स जमा कर देता है और शेष राशि करदाता (जैसे कर्मचारी) को भुगतान करता है।
TDS की प्रक्रिया
1. पहचान और विवरण
- धारक की पहचान: TDS कटौती के लिए पैन नंबर (Permanent Account Number) का होना आवश्यक है।
- धारक का विवरण: धारक का नाम, पता, और अन्य आवश्यक विवरण प्राप्त किए जाते हैं।
2. आय और दरें
- आय का प्रकार: TDS विभिन्न प्रकार की आय पर लगाया जाता है जैसे वेतन, ब्याज, किराया, आदि।
- TDS दरें: सरकार द्वारा निर्धारित दरों के अनुसार TDS काटा जाता है। यह दरें आय के प्रकार और धारक की आयकर स्लैब के अनुसार होती हैं।
3. कटौती और जमा
- कटौती: जब भी धारक को आय प्राप्त होती है, TDS काटा जाता है। उदाहरण के लिए, यदि आप वेतन पा रहे हैं, तो आपका नियोक्ता आपके वेतन से TDS काटेगा।
- जमा: कटे हुए TDS को सरकार के पास निश्चित समय सीमा के भीतर जमा करना होता है।
4. फॉर्म और प्रमाणपत्र
- फॉर्म 16/16A: कटौती करने वाला धारक (जैसे नियोक्ता) TDS कटौती का प्रमाण पत्र प्रदान करता है, जिसे फॉर्म 16 (वेतन के लिए) या फॉर्म 16A (अन्य आय के लिए) कहते हैं।
- TDS रिटर्न फाइलिंग: TDS कटौती की जानकारी को हर तिमाही में TDS रिटर्न के माध्यम से आयकर विभाग को प्रस्तुत करना होता है।
5. आयकर रिटर्न और रिफंड
- आयकर रिटर्न: करदाता को अपने आयकर रिटर्न में सभी आय और कटे हुए TDS का विवरण देना होता है।
- रिफंड: यदि कटे हुए TDS की राशि आपकी कुल कर देयता से अधिक है, तो आप आयकर रिटर्न दाखिल करते समय रिफंड का दावा कर सकते हैं।
रिटर्न फाइल करने की पूरी प्रक्रिया
आयकर रिटर्न फाइल करने की पूरी प्रक्रिया
आयकर रिटर्न (ITR) फाइल करना हर आयकरदाता के लिए महत्वपूर्ण होता है। यह प्रक्रिया आपकी वार्षिक आय और उस पर लागू कर की जानकारी को आयकर विभाग को देने का एक माध्यम है। इस लेख में, हम आयकर रिटर्न फाइल करने की पूरी प्रक्रिया को विस्तृत रूप से समझेंगे।
1. आवश्यक दस्तावेज़ तैयार करें
आयकर रिटर्न फाइल करने से पहले निम्नलिखित दस्तावेज़ तैयार रखें:
- पैन कार्ड (Permanent Account Number)
- आधार कार्ड (Aadhaar Card)
- वेतन स्लिप्स (Salary Slips)
- फॉर्म 16: नियोक्ता द्वारा जारी, जिसमें आपकी वेतन और TDS कटौती का विवरण होता है।
- बैंक स्टेटमेंट और पासबुक
- विभिन्न आय स्रोतों का विवरण: जैसे कि ब्याज, किराया, पूंजीगत लाभ आदि।
- निवेश प्रमाणपत्र: जैसे कि LIC प्रीमियम, PPF, NSC, आदि।
- प्रॉपर्टी के दस्तावेज़: यदि आपने कोई प्रॉपर्टी खरीदी या बेची हो।
- फॉर्म 26AS: आयकर विभाग द्वारा जारी किया गया वार्षिक स्टेटमेंट, जिसमें आपके सभी कर क्रेडिट्स का विवरण होता है।
2. सही ITR फॉर्म का चयन
आयकर विभाग विभिन्न प्रकार की आय के लिए विभिन्न ITR फॉर्म प्रदान करता है। अपने आय के स्रोत और प्रकार के अनुसार सही फॉर्म चुनें:
- ITR-1 (सहज): वेतन, एक घर की संपत्ति, अन्य स्रोत (जैसे ब्याज) से आय के लिए।
- ITR-2: वेतन, एक से अधिक घर की संपत्ति, पूंजीगत लाभ, अन्य स्रोत (जैसे ब्याज) से आय के लिए।
- ITR-3: यदि आप एक पेशेवर या व्यवसायी हैं।
- ITR-4 (सुगम): आयकर अधिनियम के तहत निर्धारण की गई आय के लिए (जैसे कि पेशेवर या व्यवसायी)।
3. ई-फाइलिंग पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन और लॉगिन
- रजिस्टर करें: income tax की webside पर जाएं और अपना अकाउंट रजिस्टर करें।
- लॉगिन करें: रजिस्टर्ड यूजर आईडी (आमतौर पर आपका पैन नंबर) और पासवर्ड का उपयोग करके पोर्टल पर लॉगिन करें।
4. ITR फॉर्म भरें
- ऑनलाइन फॉर्म भरें: लॉगिन के बाद, ‘ई-फाइल’ सेक्शन में जाएं और ‘आयकर रिटर्न’ पर क्लिक करें। अपने सही फॉर्म का चयन करें और निर्देशों का पालन करें।
- आवश्यक विवरण भरें: सभी आवश्यक विवरण जैसे कि व्यक्तिगत जानकारी, आय का विवरण, कर भुगतान का विवरण, और अन्य जानकारी सही-सही भरें।
- फॉर्म 26AS मिलान करें: अपने ITR फॉर्म में भरी गई जानकारी को फॉर्म 26AS में दी गई जानकारी से मिलान करें।
5. कर कैलकुलेशन और भुगतान
- कर कैलकुलेशन: सिस्टम स्वचालित रूप से आपकी कर देयता की गणना करेगा।
- कर भुगतान: यदि कोई बकाया कर है, तो आप ऑनलाइन माध्यम से भुगतान कर सकते हैं। चालान संख्या और अन्य विवरण नोट करें।
6. फॉर्म सबमिट करें
- प्रीव्यू और वेरिफाई: सबमिट करने से पहले अपने ITR फॉर्म का प्रीव्यू देखें और सभी जानकारी वेरिफाई करें।
- फाइल और सबमिट: सब कुछ सही होने पर ‘सबमिट’ बटन पर क्लिक करें।
7. रिटर्न वेरिफिकेशन
आयकर रिटर्न फाइल करने के बाद उसे वेरिफाई करना आवश्यक होता है। वेरिफिकेशन के निम्नलिखित तरीके होते हैं:
- ई-वेरिफिकेशन (आधार OTP, नेट बैंकिंग, डीमैट अकाउंट): ई-फाइलिंग पोर्टल पर लॉगिन करें और ‘ई-वेरिफाई’ पर क्लिक करें। उपलब्ध विकल्पों में से एक का चयन करें और निर्देशों का पालन करें।
- फॉर्म ITR-V भेजें: यदि आप ई-वेरिफाई नहीं कर सकते, तो रिटर्न सबमिशन के बाद जनरेट हुए ITR-V को प्रिंट करें और उसे हस्ताक्षर करके बेंगलुरु स्थित CPC (Centralized Processing Center) के पते पर डाक द्वारा भेजें।
8. रिटर्न की स्थिति चेक करें
ई-फाइलिंग पोर्टल पर लॉगिन करें और ‘मेरा खाता’ सेक्शन में जाकर अपनी रिटर्न की स्थिति (Status) चेक करें। वेरिफिकेशन के बाद, आयकर विभाग आपके रिटर्न की प्रोसेसिंग करेगा और यदि कोई रिफंड बनता है, तो उसे आपके बैंक खाते में जमा किया जाएगा।